Monday, February 15, 2016

कुछ यादों के पन्नो से

कुछ यादों के पन्नो से, निकली हैं यादें , तेरी मेरी 

कुछ भूली , कुछ याद हैं वो बातें
सब कुछ बहुत अच्छा लगता है
क्योंकि वो यौवन बहुत चंचल था
आज भी याद है तुम्हारा नजरे चुराकर देखना
और फिर नजरे मिलने पर अनजान बनना।

चलो आज फिर थोड़ा रोमानी हो जाये
फिर मैं रूठूँ , तुम मनाओ
फिर थोड़ा छेड़े , मनुहार करें
चलो फिर अपने भावो का इजहार करें।

कुछ अनकही जो दबी है , दिल में
उसको होठों से एकसार करें
तुमसे कहना है बहुत कुछ
कभी समय तो कभी शब्द नहीं मिलते
कभी फुर्सत हो तो कुछ कह लेंगे , कुछ सुन लेंगे
लिख लेंगे फिर से किस्मत की  स्याही से
यादोँ के कुछ नए पन्ने
यादोँ के कुछ नए पन्ने।

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