क्या दिल की कोई उम्र होती है
शायद नहीं
वो तो आज़ाद परिंदा है, कहीं का कहीं उड़ जाता है
आंख बंद कर के बैठों तो , ख्यालों को पंख लग जाते हैं
मन तो चाहता है की हाथों में हाथ लिए घंटो यूँ ही बैठे रहें ।
शायद नहीं
वो तो आज़ाद परिंदा है, कहीं का कहीं उड़ जाता है
आंख बंद कर के बैठों तो , ख्यालों को पंख लग जाते हैं
मन तो चाहता है की हाथों में हाथ लिए घंटो यूँ ही बैठे रहें ।
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