कितनी तन्हा सी लगती है ज़िन्दगी कभी कभी
जमाना है संग फिर भी लगती है अकेली कभी कभी
कुछ मोड पर उलझने तकलीफें
कुछ मोड पर है खुशियाँ दबी दबी
बीत ही जाएगी ज़िन्दगी सवालों में एक दिन
जो देती रही है जवाब कभी कभी
किस्मत की लकीरों पे इतबार करना छोड़ दिया
जब इंसान बदल सकते हैं तो लकीरें क्यों नहीं
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