कुछ शब्द अनकहे से
Wednesday, March 30, 2016
उल्फ़ते जिंदगी
उल्फ़ते जिंदगी में उलझने कम नहीं
तुम हो साथ तो बहारें भी कम नहीं
ना तेरे आने की आहट हुई ना जाने का ज़िक्र
खुशनुमा मौसम सी खुशबू
सोंधी मिटटी की सुगंध
तुम से हैं बहारे
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